
दिल्ली की गर्मी अब अपने चरम पर है, और जैसे ही सूरज ने अपना असली रंग दिखाना शुरू किया, वैसे ही बच्चों और अभिभावकों की नजरें गर्मी की छुट्टियों की घोषणा पर टिक गईं। हर साल की तरह इस बार भी मई-जून की झुलसती गर्मी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिससे राजधानी के लाखों छात्रों को राहत मिलने वाली है।
11 मई से स्कूलों में लगेगा ताला
दिल्ली के शिक्षा निदेशालय ने इस बार ग्रीष्मावकाश की शुरुआत 11 मई से करने का फैसला लिया है, जो पूरे 51 दिनों तक चलेगा। यह अवकाश 23 जून 2025 तक रहेगा, यानी बच्चों को इस दौरान न सिर्फ गर्मी से राहत मिलेगी, बल्कि वे अपने परिवार के साथ अच्छा वक्त भी बिता सकेंगे। इस फैसले में दिल्ली के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूल शामिल हैं। निजी स्कूलों ने भी इसी तर्ज पर अपने शेड्यूल को अपडेट करना शुरू कर दिया है।
बच्चों को राहत, शिक्षकों के लिए तैयारी का समय
जहां छात्रों के लिए यह छुट्टियां पूरे आराम और मस्ती से भरी होंगी, वहीं शिक्षकों को इस दौरान पूरी तरह आराम नहीं मिलेगा। शिक्षकों को 28 जून को स्कूल लौटना होगा ताकि वे 1 जुलाई से शुरू हो रहे नए शैक्षणिक सत्र की तैयारियों में जुट सकें। इसमें नया पाठ्यक्रम सेट करना, क्लासरूम की व्यवस्थाएं करना और विद्यार्थियों के स्वागत की तैयारी शामिल है। यह समय शिक्षकों के लिए एक तरह से बैकस्टेज तैयारी का दौर होता है, जिसमें आने वाले सत्र की नींव रखी जाती है।

साल भर की योजना अब हाथ में
शिक्षा निदेशालय ने 2025-26 के लिए पूरा शैक्षणिक कैलेंडर भी जारी कर दिया है, जिसमें केवल ग्रीष्मावकाश ही नहीं, बल्कि सर्दियों और अन्य त्योहारों की छुट्टियों, वार्षिक परीक्षाओं, रिजल्ट घोषित होने की तारीखों और नए दाखिले की समयसीमा का भी उल्लेख है। इस कैलेंडर से अब न केवल स्कूल प्रशासन बल्कि अभिभावकों को भी साल भर की योजना बनाने में आसानी होगी। बच्चों की पढ़ाई और छुट्टियों के बीच संतुलन बनाए रखना इसी तरह के समयबद्ध फैसलों से संभव हो पाता है।
बच्चों के लिए ब्रेक, मगर भविष्य की तैयारी भी
इन गर्मियों की छुट्टियों को जहां बच्चे मौज-मस्ती के तौर पर देखते हैं, वहीं यह समय उनके लिए रचनात्मक गतिविधियों और स्किल डेवलपमेंट का भी एक सुनहरा मौका हो सकता है। खेल, किताबें, और पारिवारिक समय के साथ-साथ यह वक्त बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने का भी है। छुट्टियां केवल आराम करने का नाम नहीं, बल्कि यह भविष्य की तैयारी का भी एक अहम पड़ाव है।
