
हरियाणा सरकार ने राज्य के शिक्षा तंत्र में पारदर्शिता और समानता लाने की दिशा में एक बड़ा और सख्त फैसला लिया है। शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने साफ़ शब्दों में कहा है कि अब राज्य में ऐसा कोई भी निजी स्कूल नहीं चल सकेगा जो गरीब बच्चों को ‘राइट टू एजुकेशन’ (RTE) एक्ट के तहत दाखिला नहीं देगा। सरकार का यह कदम उन स्कूलों के खिलाफ सीधी कार्रवाई है जो कानून को नजरअंदाज कर केवल लाभ के लिए शिक्षा को एक व्यापार बना चुके हैं। अब जो भी स्कूल RTE के दायरे में आने वाले बच्चों को दाखिला देने से इनकार करेगा, उसकी मान्यता सीधी रद्द कर दी जाएगी।
क्या है RTE और क्यों है यह इतना जरूरी?
राइट टू एजुकेशन यानी शिक्षा का अधिकार कानून, 6 से 14 साल की उम्र के उन बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की गारंटी देता है जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग या विशेष श्रेणी से आते हैं। इनमें HIV प्रभावित बच्चे, युद्ध में शहीद जवानों की संतानें, दिव्यांग बच्चे, और अनुसूचित जाति (SC), पिछड़ा वर्ग (BCA, BCB) से आने वाले बच्चे शामिल होते हैं। इस कानून का मकसद है कि समाज के हर वर्ग को एक समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, ताकि कोई भी बच्चा केवल आर्थिक स्थिति की वजह से शिक्षा से वंचित न रह जाए।
ऑनलाइन प्रक्रिया से दाखिले में पारदर्शिता
हरियाणा सरकार ने यह भी तय किया है कि अब सभी निजी स्कूलों को अपनी पहली प्रवेश कक्षा में दाखिले के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकार करना अनिवार्य होगा। इससे न केवल प्रक्रिया पारदर्शी होगी, बल्कि किसी भी प्रकार की धांधली पर भी लगाम लगेगी। साथ ही, सरकार ने कुछ विशेष वर्गों के लिए सीट आरक्षण की नीति को भी सख्ती से लागू किया है, ताकि शिक्षा हर वर्ग के लिए सुलभ हो सके।
एडमिशन की तारीख बढ़ाई गई, बच्चों को मिला और मौका
RTE के तहत दाखिले की प्रक्रिया को और अधिक व्यापक बनाने के लिए सरकार ने एडमिशन की अंतिम तारीख को बढ़ाकर अब 25 अप्रैल 2025 कर दिया है। यह तीसरी बार है जब अंतिम तिथि को आगे बढ़ाया गया है, ताकि कोई भी बच्चा दाखिले से वंचित न रह जाए। इससे उन माता-पिता को भी राहत मिली है जो किसी वजह से पहले आवेदन नहीं कर पाए थे।

3,134 स्कूलों पर संकट के बादल
हरियाणा में कुल 10,701 प्राइवेट स्कूल पंजीकृत हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इनमें से 3,134 स्कूलों ने अभी तक RTE के तहत आरक्षित सीटों की जानकारी सरकार को नहीं दी है। यह स्थिति सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है और अब इन स्कूलों को अंतिम चेतावनी दी गई है कि यदि वे तुरंत नियमों का पालन नहीं करते, तो उनकी मान्यता बिना किसी देरी के रद्द कर दी जाएगी।
शिक्षा में समानता की ओर एक मजबूत कदम
हरियाणा सरकार का यह निर्णय ना सिर्फ स्कूलों को जवाबदेह बनाएगा, बल्कि इससे समाज के कमजोर वर्गों के बच्चों को भी शिक्षा के समान अवसर मिलेंगे। यह कदम दिखाता है कि अब सरकार शिक्षा को केवल अमीरों का अधिकार नहीं बनने देगी। हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना उसका हक है और इसके लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
